chupke chupke raat din aansu bahaana yaad hai
mujhe ab tak aashiqui ka woh zamaana yaad hai
हसरत मोहनी
ऐ खुदा उनके मोहब्बत का यह फसाना कैसे भूले
ये शाद ये गम और ये कशमकश में पड़ जाना कैसे भूले
वैसे तो उनसे परहेज़ की कसमें खाई थी वादें किए थे पर
बेईमान इन आँखों का उनकी नज़रें चुराना कैसे भूले
बातों-बातों में जब इश्क़ का ज़िक्र उनसे महफ़िल में हो गया
उस बात पर हमारा बेहया आँखें लड़ाना कैसे भूले
उस शाम उनके निगाहों का असर उनके अदाओं का खुमार
और उनका वो दिलनशीं मुस्कुराहट फरमाना कैसे भूले
इज़हार करने को ना मेरे लब हिले ना उनकी ज़ुबान खुली
पर कुछ इशारों कुछ अदाओं से यह राज़-ए-इश्क़ का जताना कैसे भूले
भुलाने को तो हम अपनी ज़ात अपनी पहचान भुला देंगे
पर उनका नाम उनका चेहरा उनका ठिकाना कैसे भूले