tere siwa bhi koi mujhe yaad aane vaala tha
main varna yuun hijr se kab ghabraane vaala tha
शहरयार
वो बेंतिहा शिद्दत-ए-जज़्बात वक़्त लौटा न पाएगा
जिस क़दर उनको चाहा है दिल आपको चाह न पाएगा
कशमकश में छोड़ ही गया दिल का यह दस्तूर-ए-उल्फ़त
आपसे भी जी लग जाएगा दिल उनको भी भुला न पाएगा
इश्क़ का वो सिलसिला याद है पल-पल उनकी जस्तजु थी
जो शौक़ उनके दीदार का था आपका दीदार ला न पाएगा
शब-शब उनके लिए रोए सहर-सहर उनके लिए तरसे थे
उनके हिज्र में जो तड़पे आपका हिज्र यूँ सता न पाएगा
आपकी याद ज़हन में है मिलन का ख्वाब है वस्ल की हसरत
पर उनसे मुलाक़ात की आस दिल अब भी दबा न पाएगा
आपके होने से सुकून है सुकूट है मगर दिल क्या कहे
वो बेताबी से दिल्लगी यह ग़ज़ल भी जता न पाएगा